जानिए थायरॉइड विकार क्या है और इससे बचने के तरीके!

जानें थायरॉइड के कार्य और महत्व: थायरॉइड ग्रंथि के कार्य, इसके हार्मोन का प्रभाव, और यह ग्रंथि आपके शरीर के मेटाबॉलिज्म को कैसे नियंत्रित करती है।

जानिए थायरॉइड विकार क्या है और इससे बचने के तरीके!

थायरॉइड ग्रंथि की संरचना

थायरॉइड एक तितली के आकार की ग्रंथि है जो गर्दन के सामने के हिस्से में स्थित होती है। यह ग्रंथि दो मुख्य भागों से मिलकर बनी होती है, जिन्हें लोब कहा जाता है, और ये दोनों लोब बीच में एक पतली पट्टी से जुड़े होते हैं जिसे इस्तमस कहते हैं। यह ग्रंथि एंडोक्राइन सिस्टम का हिस्सा है और शरीर में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। थायरॉइड ग्रंथि मुख्य रूप से आयोडीन का उपयोग करके थायरॉइड हार्मोन का उत्पादन करती है।

थायरॉइड हार्मोन का कार्य

थायरॉइड हार्मोन का मुख्य कार्य शरीर की ऊर्जा उपयोग दर को नियंत्रित करना है। यह हार्मोन, जैसे कि थायरोक्सिन (T4) और ट्रायआयोडोथायरोनिन (T3), शरीर के मेटाबॉलिज्म को नियंत्रित करते हैं, जो कि खाने से प्राप्त ऊर्जा का उपयोग कैसे होता है, इस पर निर्भर करता है। इसके अलावा, यह हार्मोन हृदय गति, पाचन क्रिया, मांसपेशियों के कार्य, मस्तिष्क के विकास और हड्डियों के स्वास्थ्य को भी प्रभावित करते हैं।

थायरॉइड विकार के प्रकार:

विकार का नामविवरणकारणलक्षण
हाइपोथायरॉइडिज्मयह स्थिति तब होती है जब थायरॉइड ग्रंथि पर्याप्त हार्मोन नहीं बनाती।आयोडीन की कमी, ऑटोइम्यून रोग (जैसे हाशिमोटो), थायरॉइड सर्जरीथकान, वजन बढ़ना, ठंड लगना, सूखी त्वचा, बालों का झड़ना, मांसपेशियों में दर्द, कब्ज, अवसाद
हाइपरथायरॉइडिज्मइसमें थायरॉइड ग्रंथि अत्यधिक हार्मोन बनाती है।ग्रेव्स रोग, थायरॉइड नोड्यूल, अधिक आयोडीन का सेवनवजन कम होना, तेज धड़कन, घबराहट, चिंता, पसीना आना, हाथों में कंपकंपी, नींद की समस्या
हाशिमोटो की बीमारीयह एक ऑटोइम्यून विकार है जिसमें प्रतिरक्षा प्रणाली थायरॉइड ग्रंथि पर हमला करती है।आनुवांशिक प्रवृत्ति, पर्यावरणीय कारकथकान, वजन बढ़ना, सूजन, मांसपेशियों में कमजोरी, अवसाद
ग्रेव्स रोगयह एक ऑटोइम्यून विकार है जो हाइपरथायरॉइडिज्म का कारण बनता है।आनुवंशिक और पर्यावरणीय कारणआंखों का बाहर निकलना, त्वचा पर मोटे लाल धब्बे, तेज धड़कन
थायरॉइड नोड्यूल्सथायरॉइड ग्रंथि में छोटी गांठें होती हैं जो कैंसरकारी या गैर-कैंसरकारी हो सकती हैं।आयोडीन की कमी, आनुवंशिक प्रवृत्तिगले में गांठ, साँस लेने या निगलने में कठिनाई
थायरॉइड कैंसरयह थायरॉइड ग्रंथि में कैंसर कोशिकाओं का विकास है।आनुवंशिक कारण, विकिरण का संपर्क, पर्यावरणीय कारकगले में गांठ, स्वर बैठना, निगलने में कठिनाई, गर्दन में सूजन

इस सारणी में विभिन्न प्रकार के थायरॉइड विकारों, उनके कारणों और लक्षणों का संक्षिप्त विवरण दिया गया है, जिससे इन विकारों को समझने और पहचानने में मदद मिल सकती है।

थायरॉइड विकार की पहचान

रक्त परीक्षण

थायरॉइड विकार की पहचान का सबसे आम और प्रभावी तरीका रक्त परीक्षण है। इसके माध्यम से थायरॉइड हार्मोन (T3, T4) और थायरॉइड-उत्तेजक हार्मोन (TSH) के स्तर की जांच की जाती है।

  • TSH परीक्षण: यह सबसे संवेदनशील परीक्षण है जो थायरॉइड ग्रंथि की कार्यप्रणाली का मूल्यांकन करता है। उच्च TSH स्तर हाइपोथायरॉइडिज्म और निम्न TSH स्तर हाइपरथायरॉइडिज्म का संकेत देते हैं।
  • T3 और T4 परीक्षण: ये परीक्षण थायरॉइड हार्मोन के स्तर को मापते हैं। असामान्य स्तर हाइपोथायरॉइडिज्म या हाइपरथायरॉइडिज्म की ओर इशारा कर सकते हैं।

शारीरिक परीक्षण

डॉक्टर गले की जांच करके थायरॉइड ग्रंथि की स्थिति का मूल्यांकन कर सकते हैं।

  • गर्दन की जांच: डॉक्टर आपके गले को महसूस करते हैं और थायरॉइड ग्रंथि की सूजन या गांठ की जांच करते हैं।
  • ग्लैंड का आकार: थायरॉइड ग्रंथि का आकार और उसके किसी भी असामान्य परिवर्तन का निरीक्षण किया जाता है।

इमेजिंग परीक्षण

थायरॉइड विकार की पहचान के लिए विभिन्न इमेजिंग तकनीकों का उपयोग किया जा सकता है।

  • अल्ट्रासाउंड: यह परीक्षण थायरॉइड ग्रंथि की संरचना और किसी भी गांठ या असामान्यता की जांच के लिए किया जाता है।
  • थायरॉइड स्कैन: इसमें रेडियोधर्मी आयोडीन का उपयोग करके थायरॉइड ग्रंथि की कार्यप्रणाली का निरीक्षण किया जाता है। यह जांच हाइपरथायरॉइडिज्म और थायरॉइड नोड्यूल्स का मूल्यांकन करने के लिए उपयोगी होती है।
  • CT स्कैन और MRI: इनका उपयोग थायरॉइड ग्रंथि के विस्तार और आसपास के क्षेत्रों की विस्तृत जानकारी प्राप्त करने के लिए किया जाता है।

बायोप्सी

अगर थायरॉइड ग्रंथि में गांठ या नोड्यूल पाए जाते हैं, तो उनकी प्रकृति (कैंसरकारी या गैर-कैंसरकारी) का पता लगाने के लिए बायोप्सी की जाती है। इसमें एक सुई के माध्यम से ग्रंथि के एक छोटे हिस्से का नमूना लिया जाता है और माइक्रोस्कोप के तहत उसका अध्ययन किया जाता है।

थायरॉइड विकार की पहचान के ये तरीके आपको सही निदान और उचित उपचार में सहायता कर सकते हैं। सही समय पर पहचान और उपचार से थायरॉइड विकार को प्रभावी ढंग से प्रबंधित किया जा सकता है।

भारत में थायरॉइड टेस्ट की कीमत

थायरॉइड परीक्षण की कीमतें विभिन्न स्थानों, प्रयोगशालाओं, और परीक्षण के प्रकार पर निर्भर करती हैं। सामान्यत: थायरॉइड परीक्षण के लिए निम्नलिखित प्रकार के परीक्षण किए जाते हैं और उनकी कीमतें भी अलग-अलग हो सकती हैं:

टीएसएच (TSH) टेस्ट

टीएसएच (थायरॉइड-उत्तेजक हार्मोन) टेस्ट थायरॉइड फंक्शन का मूल्यांकन करने के लिए सबसे आम परीक्षण है।

  • कीमत: ₹300 से ₹500

टी3 (T3) टेस्ट

टी3 (ट्रायआयोडोथायरोनिन) हार्मोन के स्तर की जांच के लिए यह परीक्षण किया जाता है।

  • कीमत: ₹300 से ₹500

टी4 (T4) टेस्ट

टी4 (थायरोक्सिन) हार्मोन के स्तर की जांच के लिए यह परीक्षण किया जाता है।

  • कीमत: ₹300 से ₹500

फ्री टी3 (Free T3) और फ्री टी4 (Free T4) टेस्ट

ये परीक्षण फ्री थायरॉइड हार्मोन के स्तर की अधिक सटीक जांच के लिए किए जाते हैं।

  • फ्री टी3 की कीमत: ₹300 से ₹600
  • फ्री टी4 की कीमत: ₹300 से ₹600

थायरॉइड पैनल

थायरॉइड पैनल में टीएसएच, टी3, और टी4 के सभी परीक्षण शामिल होते हैं।

  • कीमत: ₹800 से ₹1500

एंटी-टीपीओ (Anti-TPO) एंटीबॉडी टेस्ट

यह परीक्षण ऑटोइम्यून थायरॉइड विकारों की पहचान के लिए किया जाता है।

  • कीमत: ₹600 से ₹1200

थायरोग्लोबुलिन टेस्ट

यह परीक्षण थायरॉइड कैंसर और अन्य थायरॉइड विकारों की निगरानी के लिए किया जाता है।

  • कीमत: ₹1000 से ₹2000

भारत में विभिन्न शहरों और लैब्स में थायरॉइड परीक्षण की कीमतों में भिन्नता हो सकती है। यह अनुशंसा की जाती है कि परीक्षण कराने से पहले विभिन्न लैब्स में कीमतों की तुलना करें और विश्वसनीय लैब का चयन करें। अतिरिक्त जानकारी और सटीक कीमतों के लिए स्थानीय लैब से संपर्क करें।

Krsnna labs में टीएफटी टेस्ट 60-120 रुपये में हो जाता है, Krsnna के पूरे भारत में लैब हैं जो कम कीमत पर lab टेस्ट की सुविधा प्रदान कराते हैं।

थायरॉइड विकार का इलाज

दवा उपचार

हाइपोथायरॉइडिज्म के लिए दवाएं

हाइपोथायरॉइडिज्म का इलाज आमतौर पर सिंथेटिक थायरॉइड हार्मोन से किया जाता है। लेवोथायरॉक्सिन (Levothyroxine) एक आम दवा है जो T4 हार्मोन की जगह लेती है और शरीर के मेटाबॉलिज्म को सामान्य करती है।

  • लेवोथायरॉक्सिन (Levothyroxine): यह दवा नियमित रूप से लेने पर थायरॉइड हार्मोन का स्तर सामान्य करती है। इसे सुबह खाली पेट लेना चाहिए।
  • दवा की खुराक: डॉक्टर आपके TSH स्तर की नियमित जांच करके दवा की सही खुराक निर्धारित करते हैं।

हाइपरथायरॉइडिज्म के लिए दवाएं

हाइपरथायरॉइडिज्म का इलाज एंटीथायरॉइड दवाओं से किया जाता है जो थायरॉइड हार्मोन के उत्पादन को कम करती हैं।

  • मेथिमाज़ोल (Methimazole): यह दवा थायरॉइड हार्मोन के उत्पादन को धीमा करती है।
  • प्रोपाइलथियोयूरासिल (Propylthiouracil): यह दवा भी थायरॉइड हार्मोन के उत्पादन को कम करती है और कुछ मामलों में मेथिमाज़ोल के विकल्प के रूप में उपयोग की जाती है।

रेडियोधर्मी आयोडीन उपचार

रेडियोधर्मी आयोडीन का उपयोग हाइपरथायरॉइडिज्म के इलाज के लिए किया जाता है। यह थायरॉइड ग्रंथि के ऊतकों को नष्ट करता है, जिससे हार्मोन उत्पादन कम हो जाता है।

  • प्रक्रिया: रोगी को रेडियोधर्मी आयोडीन की खुराक दी जाती है जिसे वह निगलता है। यह आयोडीन थायरॉइड ग्रंथि में अवशोषित हो जाता है और धीरे-धीरे ग्रंथि को नष्ट करता है।
  • परिणाम: उपचार के बाद कुछ हफ्तों से लेकर महीनों तक परिणाम देखने को मिलते हैं। इस प्रक्रिया से हाइपोथायरॉइडिज्म भी हो सकता है, जिसके लिए बाद में लेवोथायरॉक्सिन की आवश्यकता हो सकती है।

शल्य चिकित्सा

जब दवाएं और अन्य उपचार काम नहीं करते या जब थायरॉइड ग्रंथि में कैंसर की संभावना होती है, तो थायरॉइडेक्टॉमी (Thyroidectomy) की जाती है।

  • पूर्ण थायरॉइडेक्टॉमी: इसमें पूरी थायरॉइड ग्रंथि को हटा दिया जाता है।
  • आंशिक थायरॉइडेक्टॉमी: इसमें थायरॉइड ग्रंथि का एक हिस्सा हटा दिया जाता है।
  • प्रक्रिया: शल्य चिकित्सा के बाद रोगी को आजीवन थायरॉइड हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी की आवश्यकता हो सकती है।

थायरॉइड विकार से बचाव के तरीके

संतुलित आहार आयोडीन युक्त आहार

थायरॉइड ग्रंथि के सही कार्य के लिए आयोडीन आवश्यक है। आयोडीन की पर्याप्त मात्रा सुनिश्चित करने के लिए निम्नलिखित खाद्य पदार्थों का सेवन करें:

  • आयोडीन युक्त नमक: अपने दैनिक आहार में आयोडीन युक्त नमक का उपयोग करें।
  • समुद्री भोजन: मछली, झींगा, और अन्य समुद्री भोजन आयोडीन के अच्छे स्रोत हैं।
  • डेयरी उत्पाद: दूध, दही, और पनीर आयोडीन का अच्छा स्रोत हैं।
  • अंडे: अंडे की जर्दी में आयोडीन पाया जाता है।

विटामिन और मिनरल्स

थायरॉइड स्वास्थ्य के लिए अन्य विटामिन और मिनरल्स भी महत्वपूर्ण हैं:

  • सेलेनियम: यह मिनरल थायरॉइड हार्मोन के रूपांतरण में मदद करता है। इसे ब्राजील नट्स, सूरजमुखी के बीज, और मशरूम से प्राप्त किया जा सकता है।
  • जिंक: जिंक भी थायरॉइड हार्मोन के उत्पादन में महत्वपूर्ण है। इसे कद्दू के बीज, काजू, और पालक से प्राप्त किया जा सकता है।
  • विटामिन डी: यह विटामिन थायरॉइड ग्रंथि के कार्य में मदद करता है। इसे धूप, मछली के तेल, और विटामिन डी युक्त दूध से प्राप्त किया जा सकता है।

नियमित व्यायाम

नियमित व्यायाम शरीर की मेटाबॉलिज्म को संतुलित रखने में मदद करता है और थायरॉइड स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है।

  • एरोबिक एक्सरसाइज: दौड़ना, तैरना, और साइक्लिंग जैसे एरोबिक व्यायाम थायरॉइड स्वास्थ्य के लिए अच्छे होते हैं।
  • योग: योगासन, जैसे सर्वांगासन और मत्स्यासन, थायरॉइड ग्रंथि को सक्रिय रखने में मदद करते हैं।

तनाव प्रबंधन

अधिक तनाव थायरॉइड विकार को बढ़ा सकता है। तनाव को कम करने के लिए निम्नलिखित उपाय अपनाएं:

  • योग और ध्यान: रोजाना योग और ध्यान करने से मानसिक शांति मिलती है और तनाव कम होता है।
  • गहरी साँसें लेना: गहरी साँसें लेने की तकनीक से तनाव को कम किया जा सकता है।
  • अच्छी नींद: पर्याप्त और गुणवत्तापूर्ण नींद लेना भी तनाव को कम करने में मदद करता है।
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नियमित स्वास्थ्य जांच

थायरॉइड विकार का समय पर पता लगाने के लिए नियमित स्वास्थ्य जांच आवश्यक है।

  • वार्षिक जांच: साल में एक बार थायरॉइड फंक्शन टेस्ट (TFT) कराना महत्वपूर्ण है।
  • लक्षणों पर ध्यान दें: यदि आप थकान, वजन में बदलाव, या अन्य थायरॉइड विकार के लक्षण महसूस करते हैं, तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श लें।

हर्बल सप्लीमेंट्स

कुछ हर्बल सप्लीमेंट्स भी थायरॉइड स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में मदद कर सकते हैं:

  • अश्वगंधा: यह आयुर्वेदिक जड़ी बूटी थायरॉइड फंक्शन को संतुलित करने में मदद कर सकती है।
जानें: अश्वगंधा: पुरुषों की शक्ति बढ़ाने का राज। ताकत के लिए करेंअश्वगंधा का नियमित सेवन।
  • ब्लैडरवैरेक: यह समुद्री शैवाल आयोडीन का अच्छा स्रोत है और थायरॉइड स्वास्थ्य के लिए लाभकारी हो सकता है।

थायरॉइड विकार से बचाव के ये तरीके अपनाकर आप अपने थायरॉइड स्वास्थ्य को बेहतर बना सकते हैं और संभावित विकारों से बच सकते हैं। संतुलित आहार, नियमित व्यायाम, तनाव प्रबंधन, और नियमित स्वास्थ्य जांच से आप थायरॉइड विकार के जोखिम को कम कर सकते हैं।

थायरॉइड के मरीज क्या न खाएं:

खाद्य पदार्थ का नामकारण
सोया और सोया उत्पादसोया उत्पाद थायरॉइड हार्मोन के अवशोषण को प्रभावित कर सकते हैं।
गोइट्रोजन युक्त सब्जियांगोभी, ब्रोकली, फूलगोभी, और केल जैसी सब्जियां थायरॉइड ग्रंथि के कार्य में बाधा डाल सकती हैं।
प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थइन खाद्य पदार्थों में उच्च सोडियम और अस्वास्थ्यकर वसा होती है, जो थायरॉइड स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती है।
चीनी और शर्करा युक्त पदार्थउच्च शर्करा का सेवन वजन बढ़ाने और थायरॉइड विकारों को बढ़ा सकता है।
ग्लूटेनग्लूटेन संवेदनशीलता वाले थायरॉइड रोगियों के लिए यह हानिकारक हो सकता है।
कैफीनकैफीन थायरॉइड हार्मोन के अवशोषण को प्रभावित कर सकता है और मेटाबॉलिज्म को असंतुलित कर सकता है।
फास्ट फूड और जंक फूडइन खाद्य पदार्थों में पोषक तत्वों की कमी होती है और यह थायरॉइड स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
अत्यधिक आयोडीनअत्यधिक आयोडीन का सेवन थायरॉइड विकारों को बढ़ा सकता है।
अल्कोहलअल्कोहल का सेवन थायरॉइड ग्रंथि के कार्य को प्रभावित कर सकता है और थायरॉइड हार्मोन के उत्पादन को कम कर सकता है।

इस सारणी में थायरॉइड के मरीजों के लिए परहेज करने योग्य खाद्य पदार्थों का विवरण दिया गया है, जिससे वे अपने आहार में सही बदलाव कर अपने थायरॉइड स्वास्थ्य को बेहतर बना सकते हैं।

निष्कर्ष

थायरॉइड विकार एक महत्वपूर्ण स्वास्थ्य समस्या है जिसका समय पर पहचाना और उपचार किया जाना अत्यंत आवश्यक है। यह स्वास्थ्य समस्या आम तौर पर आसानी से ठीक हो सकती है, लेकिन यदि इसे गंभीरता से न लिया जाए, तो यह अन्य समस्याओं को भी पैदा कर सकता है।

अच्छे आहार, नियमित व्यायाम, तनाव प्रबंधन, और नियमित स्वास्थ्य जांच स्वास्थ्य बनाए रखने के महत्वपूर्ण तत्व हैं। नवीनतम शोध और नवाचार थायरॉइड विकार के उपचार में महत्वपूर्ण योगदान कर सकते हैं और रोगियों को अधिक लाभ प्रदान कर सकते हैं।

इसलिए, समय पर जांच, उपचार, और स्वस्थ जीवनशैली का पालन करके हम थायरॉइड विकार से बचाव कर सकते हैं और अपने स्वास्थ्य को सुरक्षित रख सकते हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

  1. थायरॉइड विकार का सबसे सामान्य लक्षण क्या है?

थकान और वजन में बदलाव थायरॉइड विकार के सबसे सामान्य लक्षण हैं।

  1. क्या थायरॉइड विकार को पूरी तरह ठीक किया जा सकता है?

सही इलाज से थायरॉइड विकार को नियंत्रित किया जा सकता है, लेकिन इसे पूरी तरह ठीक करना हमेशा संभव नहीं होता।

  1. क्या आयोडीन की कमी से थायरॉइड विकार हो सकता है?

हाँ, आयोडीन की कमी से हाइपोथायरॉइडिज्म हो सकता है।

  1. थायरॉइड विकार के लिए कौन सा आहार सबसे अच्छा है?

आयोडीन युक्त नमक, सब्जियां, फल, और साबुत अनाज थायरॉइड के लिए अच्छे हैं।

  1. क्या थायरॉइड विकार का असर मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ता है?

हाँ, थायरॉइड विकार अवसाद, चिंता, और मानसिक थकान का कारण बन सकता है।

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